“अगर एक सैनिक कहता है कि मुझे मौत से डर नहीं लगता या तो वह झूठ बोल रहा है या तो गोरखा है ।”
यह बोलने वाले कोई और नहीं हमारे देश के पहले फील्ड मार्शल सैम मानिक शॉ थे ।
इनका पूरा नाम शमशेर जी हारमोंस जी जमशेदजी मानिक शा था। उनका जन्म 3 अप्रैल सन 1914 को पंजाब के अमृतसर में रहने वाले एक पारसी परिवार में हुआ था। वे अपने पिता की तरह ही डॉक्टर बनना चाहते थे। वे महज 15 साल की उम्र में पढ़ाई करने के लिए लंदन जाना चाहते थे लेकिन उम्र छोटी होने के कारण पिता ने उन्हें लंदन जाने से मना कर दिया। लंदन न जाने की स्थिति में उन्होंने सेना में भर्ती होने की वाली परीक्षा दी और पहली बार में सफलता प्राप्त हो गई सन् 1932 में उन्होंने इंडियन मिलिट्री अकादमी को ज्वाइन कर लिया इस तरह से ना ही मानिक शा का कैरियर बन गया, यह वह समय था जब भारत आजाद नहीं हुआ था और हमारी भारतीय सेना अंग्रेजों के लिए जंग लड़ा करती थी यहां तक हमारी आर्मी को भी उसे समय ब्रिटिश इंडियन आर्मी कहा जाता था।
जब 1939 ई में द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ हुआ तब से मानिक शाह कैप्टन पद पर पहुंच चुके थे। सन् 1942 के दौरान जब सैम मानिक शा वर्मा देश के अंदर अपने जवानों को जापान के खिलाफ लीड कर रहे थे, तभी भी एक मशीन गन का शिकार बन गए उसे समय उन्हें पेट में कुल नौ गोलियां लग गई यह देखकर उनके एक वफादार सैनिक शेर सिंह ने उन्हें एक ऑस्ट्रेलियाई डॉक्टर के पास ले गए । डॉक्टर ने यह पता करने के लिए कि वह कितने होश में हैं उनसे पूछा -क्या हुआ तुम्हें जवान ?
तो मानिक शाह ने उस घायल अवस्था में भी मुस्कुराते हुए कहा-कुछ नहीं बस एक खच्चर ने लात मारी है। उनके इस साहस को देखकर डॉक्टर ने तुरंत इलाज शुरू कर दिया इलाज के बाद में जल्दी ठीक भी हो गए। यह देश के एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को स्वीटी कहा करते थे। बात है अप्रैल 1971 की एक मीटिंग के दौरान इंदिरा गांधी ने बताया कि पाकिस्तानी सैनिकों के अत्याचारों से परेशान पूर्वी पाकिस्तान के कई शरणार्थी अवैध रूप से भारत की सीमाओं में घुस रहे हैं उन्हें रोकने के लिए पूर्वी पाकिस्तान के बॉर्डर पर सैनिक लगानी होगी लेकिन उन्होंने कहा अभी यह सही समय नहीं है हमें सर्दियों का इंतजार करना होगा इस तरह दिन बीतते हैं और आता है दिसंबर 3 भारत-पाकिस्तान का युद्ध शुरू होता है और 13 दिनों में 16 दिसंबर को पाकिस्तान को हराकर उनके 93000 सैनिकों से सरेंडर कर दिया जाता है। इस तरह पूर्वी पाकिस्तान के स्थान पर एक नए देश बांग्लादेश का जन्म होता है बांग्लादेश के जनक को अगर हम मानिक शा का नाम दे तो इसमे कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। यह विश्व युद्ध के बाद अब तक की सबसे बड़ी हर किसी देश को देखनी पड़ी थी। इनको गोरख रेजिमेंट के द्वारा एक विशेष नाम सैम बहादुर दिया गया है। 27 जून 2008,94 वर्ष की उम्र में इनका तमिलनाडु में देहांत हो गया।